एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना राज्य स्थापना दिवस से होती है साकार : राज्यपाल पटेल

भोपाल 
 राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि राज्यों के स्थापना दिवस के आयोजन से एकता की भावना और एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना साकार होती है। देश की विविधता को समझकर, विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की व्यापक और दूरगामी सोच का नतीजा है। अभियान की पहल के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के प्रति आभार ज्ञापित किया है। उन्होंने देशवासियों का भारत की एकता को मजबूत बनाने के लिए राज्यों की विविधता का सम्मान करने और साझा सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने का आव्हान किया है।

राज्यपाल श्री पटेल राजभवन के सांदीपनि सभागार में तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के स्‍थापना दिवस के संयुक्त समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री के.सी. गुप्ता, अपर सचिव श्री उमाशंकर भार्गव एवं प्रदेश में निवासरत दोनों राज्यों के मूल निवासी मौजूद थे।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि हमारा देश विविध और बहु संस्कृति वाला है, जिसका स्वरूप विभिन्न राज्यों की विशिष्ट संस्कृति, भाषा, इतिहास और परंपराओं से मिलकर बना है। विभिन्न राज्यों की विविधताओं में रची-बसी एकता से ही दुनिया में भारत की अनेकता में एकता की पहचान बनी है। राज्यों की विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराओं की विरासत और विविधता में बसी मौलिक एकता को समझना ही एक भारत को श्रेष्ठ भारत बनाना है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना और बंगाल की सांस्कृतिक विविधताओं में बसी एकता को उनकी सांस्कृतिक समानताओं में समझा जा सकता है दोनों ही संस्कृतियों में जीवंत कला, नृत्य, संगीत और त्यौहार शामिल हैं। उनकी लोक कला और जनजातीय परंपराएं भी विशिष्ट है, जहां बंगाल में काली पूजा के आयोजन होते है, वहीं तेलंगाना में देवी महाकाली की पूजा के लिए पारंपरिक त्योहार बोनालू मनाया जाता है। इसी तरह तेलंगाना में नवरात्रि के दौरान बतुकम्मा का पर्व उत्साहपूर्वक मनता है। बंगाल में वह दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ पूर्वी भारत से क्रांतिकारी खुदीराम बोस, सूर्यसेन, प्रफुल्ल चाकी, बाघा जतिन और नलिनी दास के साथ दक्षिण भारत से क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू, पिंगली वेंकैय्या भी समान निष्ठा और समर्पण से संघर्ष की आवाज बने थे। हमारा राष्ट्र गीत- वंदे मातरम और राष्ट्र गान- जन-गण-मन और हमारा प्रिय राष्ट्रीय संबोधन जय हिन्द यदि पूरब की सौगात है तो वहीं राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की डिजाईन दक्षिण के पिंगली वेंकैय्या की देन है। उन्होंने मध्यप्रदेश के प्रथम नागरिक के रूप में तेलंगाना और बंगाल राज्यों के स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई दी। उन्होंने भारत के सबसे नये तेलंगाना और सबसे पुराने पश्चिम बंगाल राज्य के स्थापना दिवस के संयुक्त आयोजन की पहल की सराहना की। उन्होंने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में शामिल कलाकारों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए और उनकी सराहना करते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल का समारोह में दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा उनके राज्य की परंपरा अनुसार अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में तेलंगाना के राज्यपाल श्री जिशनु देव वर्मा के वीडियो संदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री सी.व्ही. अनंदा बोस के संदेश का वाचन किया गया। राज्य के बारे में लघु फिल्म भी दिखाई गई। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के इतिहास, संस्कृति एवं प्रगति संबंधी एक लघु फिल्म दिखाई गई।

राज्यपाल श्री पटेल का कार्यक्रम के प्रारंभ में तेलगु संगमम भोपाल की ओर से श्री किशोर नायडू एवं बालाजी मंदिर भेल भोपाल के अध्यक्ष श्री रामबाबू पड़ाला ने पारंपरिक कलाकृति भेंट कर स्वागत किया। बंगाली एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष श्री एन. बनर्जी एवं सचिव श्री सलिल चटर्जी ने बंगाल के प्रसिद्ध शोला कागज की कलाकृति भेंट कर अभिनंदन किया। तेलगु संगमम भोपाल की सदस्या श्रीमति विद्या कोल्ली ने स्वागत उद्बोधन दिया। आभार प्रदर्शन बंगाली एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष श्री एन. बनर्जी ने किया।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल के समक्ष राज्यों के संयुक्त समारोह में दोनों राज्य की कला, संस्कृति और इतिहास के गौरवगान पर आधारित प्रस्तुतियां हुई। तेलंगाना राज्य के नृत्य कलाकारों ने गुरू मंजुमणी के निर्देशन में प्रस्तुतियां दी। बथूकम्मा, ब्रह्म्म् ओकते और नाग नागम् नृत्य की भक्तिमय प्रस्तुति ने वातावरण को आध्यात्मिकता प्रदान की। बंगाल एसोसिएशन के टी.टी. नगर, साकेत नगर और दक्षिणेश्वर कालीबाड़ी के प्रतिनिधियों द्वारा बंगाल के क्रांतिकारी संघर्ष, स्वदेशी आंदोलन और कवि बंकिम चन्द्र, रजनीकांत, सुदीपदास गुप्ता, जीवन आनंद और गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के राष्ट्र प्रेम पर आधारित गीतों और नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों की तालियां बटोरी। इन प्रस्तुतियों में हर आयु वर्ग के कलाकारों ने हिस्सा लिया। राज्यों के सांस्कृतिक दल को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर दोनों राज्यों के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद भी अतिथियों ने लिया।

 

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