
चीन
चीन की चुनौती के बीच ताइवान ने भी युद्ध की तैयारी शुरू कर दी है। ताइवान ने समंदर में हथियार ले जाने वाले ड्रोन का परीक्षण किया है। बीजिंग आए दिन ताइवान को धमकाने के लिए अपने एयरक्राफ्ट भेज देता है। इसी दबाव के बीच ताइवान ने भी युद्ध स्तर परतैयारी शुरू कर दी है। ताइवान अब ऐसे ड्रोन तैयार कर रहा है जिनका इस्तेमाल रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में हो रहा है।
चीन दावा करता है कि ताइवान उसका ही हिस्सा है। वह ताइवान को कब्जे में लेने की धमकी देता रहत है। ताइवान के यिलान में अनक्रूड सी वीइकल यानी ड्रोन का प्रदर्शन किया गया। इसमें दुनियाभर की कम से कम 12 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। ताइवान का कहना है कि भविष्य में इस तरह के आधुनिक ड्रोन का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा। समंदर में युद्ध के लिए ये ड्रोन बहुत उपयुक्त हैं।
ताइवान ने ब्लैक टाइड सी ड्रोन का प्रदर्शन किया जो कि 80 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इसके अलावा यह इंटेलिजेंस, सर्विलांस और हमले में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा बमबारी करने वाला स्टील्थ ड्रोन काफी सस्ता है। ताइवान की सरकार का कहना है कि इस तरह के ड्रोनों का उत्पादन भी बहुत आसान होगा।
अमेरिकी कंपनी ऑटेरियन ने ताइवान के साथ समझौता करके आधुनिक तकनीक से लैस ड्रोन बनाने पर सहमति जताई है। राष्ट्रपति लाइ चिंग ते ने संकल्प लिया कि वह ताइवान को ड्रोन प्रोडक्शन के मामले में एशियन हब बनाएंगे। फिलहाल ताइवान के पास हर साल 8 से 10 हजार ड्रोन उत्पादन की क्षमता है। वहीं सरकार ने 2028 तक हर साल 1 लाख 80 हजार ड्रोन बनाने का लक्ष्य रखा है। ताइवान का कहना है कि फोकस कम कीमत में ड्रोन प्रोडक्शन करने पर रहेगा। इस समय चीन के ड्रोन के आगे ताइवान के ड्रोन ज्यादा कीमत की वजह से नहीं टिक पाते हैं।
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