
इस्लामाबाद
पाकिस्तान की सेना और आईएसआई लंबे समय से आतंकी गुटों को हथियार बनाकर क्षेत्रीय खेल खेल रही है. अब बलूचिस्तान में एक नया खतरा उभरा है – लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रांत (आईएसके) का गठबंधन. आईएसआई की मदद से ये दोनों आतंकी संगठन मिलकर बलूच विद्रोहियों और अफगान तालिबान के कुछ गुटों पर हमला कर रहे हैं.
आईएसके की मैगजीन 'यलगार' में भारत के कश्मीर में हमलों की योजना का जिक्र भी है. हाल ही में आईएसके के समन्वयक मीर शफीक मेंगल की एक फोटो सामने आई, जिसमें वे लश्कर के वरिष्ठ कमांडर राणा मोहम्मद अशफाक को पिस्तौल दे रहे हैं. यह फोटो पाकिस्तान की आतंक प्रायोजित गतिविधियों को बेनकाब करती है.
हाल ही में लीक हुई फोटो में आईएसके के बलूचिस्तान समन्वयक मीर शफीक मेंगल लश्कर के नजीम-ए-आला (मुख्य कमांडर) राणा मोहम्मद अशफाक को पिस्तौल भेंट कर रहे हैं. यह तस्वीर आईएसआई की सीधी संरक्षण वाली साजिश को दिखाती है. राणा अशफाक लश्कर को पाकिस्तान भर में फैला रहा है – नए मर्कज (ट्रेनिंग सेंटर) खोल रहा है. दूसरे आतंकी गुटों से संपर्क बढ़ा रहा है.
मीर शफीक मेंगल पूर्व बलूचिस्तान के केयरटेकर मुख्यमंत्री नासिर मेंगल का बेटा है. वो आईएसआई का पुराना एजेंट है. 2010 से वो एक निजी किलर स्क्वॉड चला रहा है, जो बलूच राष्ट्रवादियों को मारता है. 2015 से वो आईएसके के लिए सुरक्षित घर, फंडिंग और हथियार मुहैया करा रहा है. पाकिस्तान की 2015 की जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (जेआईटी) रिपोर्ट में भी उसका नाम आया है.
आईएसके के कैंप: आईएसआई की फैक्ट्री
2018 तक आईएसआई ने आईएसके को फंडिंग और लॉजिस्टिक्स देकर बलूचिस्तान में दो मुख्य कैंप बनवाए – मस्तुंग और खुजदार जिले में. मेंगल इन कैंपों का इंचार्ज था. मस्तुंग कैंप बलूच विद्रोहियों पर हमलों के लिए, खुजदार अफगानिस्तान में क्रॉस-बॉर्डर मिशनों के लिए. आईएसआई के बीच से हथियार और पैसे आते थे.
2023 में अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आया, तो आईएसआई ने आईएसके को नया रूप दिया. मस्तुंग कैंप बलूचों पर, खुजदार अफगानिस्तान पर फोकस. मेंगल का किलर स्क्वॉड आईएसआई के आदेश पर बलूच विद्रोहियों को मारता रहा. मेंगल की राजनीतिक पहुंच मजबूत है – 2023 की एक फोटो में वे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ दिखे.
मार्च 2025 का हमला: गठबंधन का जन्म
मार्च 2025 में बलूच लड़ाकों ने मस्तुंग कैंप पर बड़ा हमला किया, 30 आतंकी मारे गए. आईएसआई ने जवाब में लश्कर को बुलाया. जून 2025 में राणा अशफाक बलूचिस्तान पहुंचे. लश्कर के डिप्टी सैफुल्लाह कसूरी ने 'जिरगा' (बैठक) बुलाई, जिसमें बलूच अलगाववादियों के खिलाफ जिहाद की कसम खाई.
मेंगल और अशफाक की फोटो इस गठबंधन की पुष्टि करती है. विश्लेषकों का कहना है कि आईएसआई बलूच विद्रोहियों और अफगान तालिबान के उन गुटों पर हमला करवाना चाहता है, जो इस्लामाबाद के कंट्रोल में नहीं हैं. यह प्रॉक्सी वॉर (छद्म युद्ध) का हिस्सा है.
लश्कर की पुरानी जड़ें बलूचिस्तान में
लश्कर बलूचिस्तान में नया नहीं. क्वेट्टा में 'मर्कज ताकवा' कैंप है, जिसकी कमान अफगान युद्ध के वेटरन मियां सकीब हुसैन के पास है। 2002-2009 में लश्कर ने यहां ट्रेनिंग कैंप चलाया। 2006 में इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल को यहीं हथियार ट्रेनिंग मिली.
अब लगता है कि लश्कर आईएसके के साथ मिलकर बलूच विद्रोहियों पर हमले करेगा, जैसे अफगान जिहाद में अल-कायदा के साथ किया था. आईएसआई की निगरानी में यह गठबंधन पाकिस्तान के आतंक तंत्र को बदल रहा है – अलग विचारधारा वाले गुट एक हो रहे हैं, दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने के लिए.
क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा
यह गठबंधन अफगानिस्तान, बलूचिस्तान और कश्मीर के लिए बड़ा खतरा है. पाकिस्तान आईएसके को 'दाएश' कहकर दुनिया को बेवकूफ बनाता है, लेकिन खुद इस्तेमाल कर रहा है. आईएसआई की यह साजिश 'प्लॉजिबल डिनायबिलिटी' (इनकार करने लायक) के तहत चल रही है. भारत और अफगानिस्तान को सतर्क रहना होगा.
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