
भोपाल
मध्य प्रदेश में मुंह के कैंसर की पहचान अब आसान होगी। एम्स भोपाल एक मोबाइल ऐप बना रहा है। यह ऐप कुछ ही मिनटों में कैंसर की जांच कर लेगा। मध्य प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी यानि एमपीसीएसटी ने इस काम के लिए लाखों रुपए की सहायता भी दी है। यह ऐप लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए भी अपील करता हुआ नजर आएगा।
एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉक्टर अजय सिंह का इसे लेकर कहना है कि यह ऐप तकनीक के माध्यम से लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा। यह रिसर्च 24 महीनों तक चलेगी। एम्स भोपाल के डॉक्टर अंशुल राय इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं। वे ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग में प्रोफेसर हैं।
कई विभागों के डॉक्टर शामिल
इस रिसर्च में कई और विभागों के डॉक्टर भी शामिल हैं। जैसे कि रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, पैथोलॉजी और सामुदायिक चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञ। यह ऐप कैंसर के लक्षणों को पहचानेगा। साथ ही, यह लोगों को तंबाकू, सुपारी और धूम्रपान के नुकसान बताएगा। इससे लोग इन्हें छोड़ने के लिए प्रेरित होंगे।
प्रोजेक्ट के लिए लाखों की मदद
एमपीसीएसटी ने इस प्रोजेक्ट के लिए 7.4 लाख रुपए दिए हैं। पहली किस्त के रूप में 3.7 लाख रुपए मिल चुके हैं। इस ऐप से मुंह के कैंसर की शुरुआती पहचान जल्दी हो सकेगी। इससे लोगों को समय पर इलाज मिल पाएगा। और उनकी जान बच सकेगी। यह ऐप एक बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो गांवों में रहते हैं और जिनके पास डॉक्टर तक पहुंचने के लिए साधन नहीं हैं।
शोध के लिए लिए मिली मंजूरी, 7.4 लाख स्वीकृत
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि "ओरल कैंसर और अन्य प्री-मेलिग्मेंट (पूर्व-कैंसर) स्थितियों की पहचान के लिए एक मोबाइल ऐप के माध्यम से स्क्रीनिंग के लिए एक अभिनव अनुसंधान परियोजना प्रारंभ की है. इसके लिए एमपी काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने दो साल के रिसर्च प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. इस दो वर्षीय अनुसंधान परियोजना के लिए कुल 7.4 लाख की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से पहले साल के लिए 3.7 लाख रुपये की पहली किस्त जारी की जा चुकी है. जबकि बची हुई राशि दूसरी किश्त में प्रदान की जाएगी."
इस तरह मोबाइल एप से होगी कैंसर की स्क्रीनिंग
एम्स के डाक्टरों ने बताया कि यह मोबाइल ऐप ओरल कैंसर, मुंह खोलने में रुकावट की बीमारी और अन्य गंभीर मुख स्थितियों की स्क्रीनिंग करने में मदद करेगा. यह एप कुछ ही मिनटों में परिणाम देगा और सभी रोगियों की जानकारी पूर्ण रूप से गोपनीय रखेगा. बता दें कि इस रिसर्च का नेतृत्व एम्स भोपाल के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉ. अंशुल राय करेंगे. उनके साथ को-प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर के रूप में डॉ. सैकत दास (रेडिएशन ऑन्कोलॉजी), प्रो. अभिनव सिंह, डॉ. दीप्ति जोशी (पैथोलॉजी) और डॉ. अंकुर जोशी (कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन) शामिल हैं.
जूनियर रिसर्च फेला को मिलेंगे 4 लाख 70 हजार
डॉ. अंशुल राय ने बताया कि "रिसर्च के लिए स्वीकृत राशि में से दो साल के लिए जूनियर रिसर्च फेलो की सैलरी 4 लाख 80 हजार रुपए तय की गई है. कंज्यूमेबल्स पर 60 हजार रुपए, यात्रा व्यय पर 1 लाख रुपए और पब्लिकेशन व प्रिंटिंग पर 1 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे. बता दें कि यह रिसर्च मोबाइल ऐप के जरिए बड़ी आबादी में मुंह से जुड़ी गंभीर बीमारियों की पहचान और इलाज की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है. डॉ. अंशुल राय ने जानकारी दी कि इस मोबाइल ऐप पर वे गत एक वर्ष से कार्य कर रहे हैं."
एक हजार मरीजों पर किया जाएगा शोध
एमपी काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा कुल 7.5 लाख रुपये की धनराशि इस परियोजना के लिए प्रदान की गई है. आगामी दो वर्षों में यह अनुसंधान 1,000 व्यक्तियों पर किया जाएगा. एक व्यापक रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की जाएगी. जिससे ओरल कैंसर से संबंधित नीति निर्माण में सहायता मिल सके. यह ऐप उपयोगकर्ताओं को तंबाकू, सुपारी, सिगरेट और बीड़ी जैसे हानिकारक पदार्थों के प्रभावों के बारे में जागरूक करेगा और उन्हें इनका सेवन छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा. यह ऐप अपनी तरह का पहला इनोवेशन है, जिसे सरकार ने फंडिंग दी है और यह स्पष्ट तरह से कैंसर होने के कितने चांसेस हैं उसका प्रमाण देगा.
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