
सना
यमन के हूती चरमपंथियों ने लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर एक बार फिर से हमले शुरू कर दिए हैं। सोमवार को हूती चरमपंथियों के हमले में लाइबेरिया के झंडे वाले यूनानी कंपनी के जहाज इटरनिटी सी के चालक दल के चार सदस्य मारे गए। यूरोपीय संघ के एक नौसैनिक बल ने मंगलवार को जहाज पर नाविकों की मौत की पुष्टि की है। इसके अलावा समूह ने एक और जहाज पर कब्जा करने और उसे डुबोने का दावा किया है और उसका वीडियो भी शेयर किया है। इस साल जहाज पर हमले में किसी चालक दल के सदस्य की मौत का पहला मामला है। इसके पहले जहाज पर हमले में आखिरी बार जून 2024 में मौते हुई थीं।
जहाज पर बम और ड्रोन से बोला गया हमला
यह हमले संभावित रूप से लाल सागर के जलमार्ग को निशाना बनाने के एक नये अभियान का शुरुआती संकेत है, जिससे हाल के हफ्तों में अधिक जहाजों का गुजरना शुरू हो गया था। सोमवार रात को जब यह जहाज़ उत्तर दिशा में स्वेज नहर की ओर बढ़ रहा था, तभी छोटी नावों में सवार लोगों और बम से लैस ड्रोन से उस पर हमला किया गया। जहाज पर मौजूद सुरक्षा गार्ड ने भी अपने हथियारों से जवाबी हमला किया। यूरोपीय संघ के ऑपरेशन एस्पाइड्स और निजी सुरक्षा कंपनी एम्ब्रे ने इन विवरणों की जानकारी दी।
हूतियों विद्रोहियों को हमले के लिए बताया जिम्मेदार
हालांकि हूतियों ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन यमन की निर्वासित सरकार और यूरोपीय संघ के बल ने हमले के लिए विद्रोहियों को दोषी ठहराया है। यूरोपीय संघ के बल ने हताहतों की जानकारी देते हुए कहा कि हमले में घायल चालक दल के एक सदस्य को अपना पैर गंवाना पड़ा है। चालक दल के सदस्य जहाज पर ही फंसे हुए हैं, जो अब लाल सागर में बिना नियंत्रण के बह रहा है।
हूतियों ने डुबोया जहाज
हूतियों ने रविवार को लाइबेरियाई झंडे वाले, यूनान स्वामित्व वाले बल्क कैरियर ‘मैजिक सीज’ पर ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट-चालित ग्रेनेड और छोटे हथियारों से हमला किया था। इस हमले की वजह से इसके चालक दल के 22 सदस्यों को जहाज़ छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। विद्रोहियों ने बाद में कहा कि यह जहाज़ लाल सागर में डूब गया। एक वीडियो में हथियारबंद लोगों को जहाज पर चढ़ते और बाद में विस्फोट के बाद जहाज को डूबते दिखा गया है।
दोनों हमलों और सोमवार को विद्रोहियों को निशाना बनाकर किए गए इजराइली हवाई हमले की वजह से जहाजों को हूती विद्रोहियों द्वारा निशाना बनाने का अभियान फिर से शुरू होने की आशंका उत्पन्न हो गई है। इससे अमेरिकी और पश्चिमी देशों की सेनाएं फिर से क्षेत्र में आ सकती हैं। खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बड़े हवाई हमले में विद्रोहियों को निशाना बनाया है। यह हमला ऐसे समय हुआ है, जब इजराइल-हमास युद्ध, ईरान-इजराइल युद्ध और ईरानी परमाणु स्थलों पर अमेरिका के हवाई हमलों के बाद पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है।
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