
जबलपुर
मप्र हाईकोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए विवादित बयान के बाद प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गई कानूनी कार्रवाई बंद कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को मप्र हाईकोर्ट से निवेदन किया था कि मंत्री विजय खिलाफ के खिलाफ कार्रवाई बंद कर दें। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सोमवार को जस्टिस विवेक अग्रवाल व जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने मामला समाप्त कर दिया।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह द्वारा इंदौर के पास महू-अंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में एक सार्वजनिक समारोह में दिए गए बयान पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। 14 मई को पारित आदेश में शाम तक उनके खिलाफ बी.एन.एस. की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए थे। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि मंत्री ने भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने आमसभा में कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ गटर भाषा का इस्तेमाल किया है। उनका बयान प्रथम दृष्टया मुस्लिम धर्म के सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के बीच वैमनस्य और दुश्मनी या घृणा या दुर्भावना पैदा करने की प्रवृत्ति का है।
याचिका पर अगले दिन 15 मई को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया था कि मंत्री के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उनके द्वारा किए गए अपराध का उल्लेख नहीं किया है। एफआईआर ऐसे कंटेंट के साथ लिखी गई है, जो चुनौती देने पर निरस्त हो जाए। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि अपराध के विवरण का उल्लेख करते हुए दोबारा एफआईआर दर्ज की जाए। हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के पूरे आदेश को सभी न्यायिक, अर्ध-न्यायिक और जांच प्रक्रिया में पैराग्राफ 12 के हिस्से के रूप में पढ़ा जाएगा। पुलिस की मंशा को देखते हुए हाईकोर्ट जांच की निगरानी करेगा। हालांकि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से निवेदन किया था। उसी पर हाईकोर्ट ने निर्णय लिया है।
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