November 11, 2025

डॉ. चंदेल का किसानों को सुझाव: फसलों में बीमारियों से बचाव के लिए जैव नियंत्रक अपनाएं

रायपुर : फसलों में बीमारियों के नियंत्रण के लिए जैव नियंत्रकों का उपयोग करें : डॉ. चंदेल

कृषि विश्वविद्यालय में जैव-एजेंटों के मास मल्टीप्लीकेशन पर एक दिवसीय हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण संपन्न

रायपुर

कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में “जैवनियंत्रण एजेंट्स के व्यापक प्रसार (Mass Multiplication of Biocontrol Agents)” पर हैंड्स-ऑनट्रेनिंग का आयोजन छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (CGCOST) रायपुर के वित्तीय सहयोग से किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न विशेषज्ञों ने छात्रों को कृषि के बदलते स्वरूप और जैविक उपायों के महत्व से अवगत कराया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को जैविक कीट नियंत्रण के व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराना था। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। डॉ. चंदेल ने कहा कि हमें ब्राज़ील के उदाहरण से सीखना चाहिए, जहाँ मच्छरों के नियंत्रण के लिए जैव नियंत्रण एजेंट्स का सफल उपयोग किया गया है। उन्होंने रासायनिक पदार्थों के उपयोग को कम करने और सामुदायिक स्तर पर जैविक नियंत्रण के उपाय अपनाने का आह्वान किया। 

कार्यशाला में डॉ. संजय शर्मा अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने कहा कि आज की कृषि पूरी तरह बाजार-केन्द्रित हो चुकी है, और जैव नियंत्रण एजेंट्स उद्यमिता (entrepreneurship) के लिए एक  उत्कृष्ट मंच साबित हो सकते हैं। डॉ. आरती गुहे अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, रायपुर ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे आज अर्जित किए गए ज्ञान को आगे साझा करने के माध्यम बनें, ताकि यह जानकारी समाज के अन्य सदस्यों तक पहुँच सके। छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (CGCOST) के प्रतिनिधि डॉ. अखिलेश त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे शोध एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन बार-बार किया जाना चाहिए, जिससे छात्रों के साथ-साथ कृषक समुदाय को भी नई तकनीकों की जानकारी मिल सके। कार्यक्रम में डॉ. एस. एस. टुटेजा, निदेशक विस्तार सेवाएं भी मौजूद थे। इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के 20 विभिन्न महाविद्यालयों से 150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम छात्रों के लिए न केवल एक शैक्षणिक अनुभव रहा, बल्कि टिकाऊ कृषि और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम भी साबित हुआ।

प्रशिक्षण के तकनीकी सत्रों में देश के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों ने ऑनलाइन माध्यम से अपने व्याख्यान दिए। डॉ. ऋचा वार्ष्णेय (वैज्ञानिक, एन बी ए आई आर, बेंगलुरु), डॉ. विशाल सिंह सोमवंशी (आई एआर आई), और डॉ. विनोद निर्मलकर, कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, बिलासपुर ने जैव-एजेंटों के मास मल्टीप्लीकेशन और कृषि में उनके महत्व पर विस्तृत जानकारी साझा की। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण व्यावहारिक सत्र रहा, जहाँ छात्रों को जैव नियंत्रण प्रयोगशाला (Biocontrol Laboratory) में ले जाया गया। वहां उन्हें जैव-एजेंटों के बड़े पैमाने पर गुणनकी विभिन्न तकनीकों का व्यावहारिक प्रदर्शन (hands on demonstration) दिया गया। कार्यक्रम का सफल आयोजन संयोजक डॉ. बी. पी. कतलम और आयोजन सचिव डॉ. योगेश मेश्राम के मार्गदर्शन में किया गया। आयोजन समिति के सदस्यों डॉ. गजेंद्र चंद्राकर, डॉ. सोनाली देवले, डॉ. विकास सिंह, और डॉ. राजेश कुमार एक्का ने कार्यक्रम के सुचारु संचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अवसर पर कीट विज्ञान विभाग के शोध छात्र भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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