
यांगून
म्यांमार में 28 मार्च को आए विनाशकारी भूकंप के बाद देश में कुल 157 झटके (आफ्टरशॉक) महसूस किए गए। मौसम विज्ञान और जल विज्ञान विभाग ने सोमवार को यह जानकारी दी। विभाग ने बताया कि भूकंप के झटकों की तीव्रता 2.8 से 7.5 के बीच थी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने सरकारी दैनिक म्यांमार एलिन के हवाले से बताया कि 25 अप्रैल तक भूकंप में मरने वालों की संख्या 3,763 थी, 5,107 लोग घायल हुए और 110 लोग लापता हैं।
देश की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति (एनडीएमसी) के अनुसार, 28 मार्च को मध्य म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद 2,00,000 से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं।
शुक्रवार को ने प्यी ताव में आयोजित समिति की साल की तीसरी बैठक में एनडीएमसी के अध्यक्ष वाइस सीनियर जनरल सो विन ने कहा कि भूकंप ने प्यी ताव, सागांग, मांडले, बागो, मैगवे और शान समेत 10 क्षेत्रों और राज्यों में भारी नुकसान किया है।
जनरल सो विन ने कहा कि भूकंप से 63,000 से अधिक घर, 6,700 स्कूल, 5,400 मठ, 5,300 पगोडा और सैकड़ों अन्य धार्मिक इमारतें, अस्पताल, पुल, सड़कें और बांध नष्ट हो गए या क्षतिग्रस्त हो गए।
337 विदेशी कर्मियों समेत अंतरराष्ट्रीय मेडिकल टीमों ने सबसे प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी अस्पताल लगाए हैं और स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मिलकर लोगों का इलाज कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि म्यांमार सरकार की ओर से अंतरराष्ट्रीय मदद की मांग करने के बाद 26 देशों और क्षेत्रों से 2,095 बचावकर्मी म्यांमार पहुंचे हैं। ये बचावकर्मी 147 विमानों, सात जहाजों और 23 वाहनों के जरिए 3,800 टन से अधिक राहत सामग्री लेकर आए हैं।
भारत म्यांमार में भूकंप से प्रभावित इलाकों में सबसे पहले सहायता देने वाला देश था। 'ऑपरेशन ब्रह्मा' के तहत भारत ने 750 मीट्रिक टन से अधिक राहत सामग्री भेजी, जिसमें जरूरी दवाइयां, खाद्यान्न, तैयार भोजन, टेंट, कंबल, जेनसेट, शल्य चिकित्सा और मेडिकल शेल्टर, जल स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाएं, पेयजल, कपड़े, और पूर्वनिर्मित कार्यालय शामिल हैं।
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