भोपाल
मध्यप्रदेश में विवाह तथा जन्म-मृत्यु पंजीयन को शत-प्रतिशत सुनिश्चित करने के लिए आयुक्त, आर्थिक एवं सांख्यिकी श्री विकास मिश्रा ने सभी जिला कलेक्टर एवं जिला विवाह रजिस्ट्रार को निर्देश दिए हैं। “मध्यप्रदेश विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन नियम-2008”के तहत राज्य में किसी भी विधि या परंपरा से संपन्न हुए सभी विवाहों का पंजीयन अनिवार्य है। व्यवहारिक रूप से सभी विवाह पंजीकृत न हो पाने से विशेषकर महिलाओं को पति की मृत्यु या अन्य कानूनी परिस्थितियों में प्रमाण और अधिकार प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इसी समस्या को दूर करने और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जिलों को विशेष कदम उठाने को कहा गया है। महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा, परिवार को मिलने वाली वैधानिक सुविधाओं की गारंटी तथा शासन की जनहितकारी योजनाओं के पारदर्शी क्रियान्वयन को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इस प्रक्रिया को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है।
आयुक्त श्री मिश्रा ने बताया कि सामूहिक विवाह कार्यक्रम जैसे मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री निकाह योजना तथा अन्य सामाजिक आयोजनों में विवाह स्थल पर ही प्रमाण-पत्र जारी करने की व्यवस्था को सुनिश्चित किया जायेगा। उन्होंने सभी नगरीय निकायों और सार्वजनिक स्थानों पर विवाह पंजीयन के व्यापक प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए हैं। शादी हॉल, मैरेज गार्डन और समारोह स्थलों पर विवाह पंजीयन को अनिवार्य बताते हुए सूचनात्मक होर्डिंग लगाने के निर्देश भी जारी किये गये हैं। टेंट हाउस और केटरिंग व्यवसायियों को अपनी रसीदों पर विवाह पंजीयन को बढ़ावा देने वाले स्लोगन—जैसे “विवाह का आठवां वचन—विवाह का हो पंजीयन”और “नारी का सम्मान—विवाह का प्रमाण”अंकित करने के लिए भी कहा गया है।
प्रदेश में जन्म-मृत्यु पंजीयन की स्थिति में सुधार के लिए आयुक्त श्री मिश्रा ने कहा कि सभी अनाथालयों, बाल संप्रेषण गृहों तथा बाल सुधार गृहों में रहने वाले बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र तत्काल बनवाए जाएँ। साथ ही महारजिस्ट्रार कार्यालय नई दिल्ली द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन जिले स्तर पर सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिले के सभी रजिस्ट्रार और उप-पंजीयक अपने कार्यालयों के बाहर जन्म-मृत्यु पंजीयन संबंधी नियमावली को दीवार पर पेंट करवाकर प्रदर्शित करें, जिससे हर नागरिक को जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से मध्यप्रदेश में विवाह तथा जन्म-मृत्यु पंजीयन की दर में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे न केवल नागरिकों को उनके अधिकार समय पर मिल सकेंगे, बल्कि सरकारी योजनाएँ भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी तरीके से लागू हो सकेंगी।

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