
नई दिल्ली
भारत, अंडमान सागर में एक बेहद बड़ी ऑफशोर तेल खोज कर सकता है। इस तेल भंडार में 184,440 करोड़ लीटर कच्चा तेल हो सकता है और यह गुयाना की परिवर्तनकारी खोज को टक्कर दे सकता है। यह बात केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने द न्यू इंडियन के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कही। अगर यह तेल भंडार मिल जाता है तो यह भारत के लिए एक बड़ा गेमचेंजर साबित होगा। पुरी ने कहा कि सरकार के हालिया सुधार और आक्रामक खोज अभियान एक बड़ी खोज के लिए आधार तैयार कर रहे हैं।
पुरी के मुताबिक, छोटी खोजों के अलावा, अंडमान क्षेत्र में गुयाना जैसी बड़े पैमाने पर तेल की खोज भारत की अर्थव्यवस्था को 3.7 लाख करोड़ डॉलर से 20 लाख करोड़ डॉलर तक बढ़ाने में मदद कर सकती है। अगर कनफर्म हो गया कि अंडमान सागर में इतना बड़ा तेल भंडार है तो यह खोज भारत के एनर्जी लैंडस्केप को नया आकार दे सकती है। पुरी ने कहा कि कुछ वक्त की बात है, उसके बाद हो सकता है कि हम अंडमान सागर में एक बड़ा गुयाना खोज लें।
क्या है गुयाना मॉडल
गुयाना के तट पर एक्सॉनमोबिल, हेस कॉरपोरेशन और सीएनओओसी ने 11.6 अरब बैरल से अधिक का विशाल भंडार खोजा था। उस खोज ने गुयाना को तेल भंडार वाले दुनिया के टॉप 20 देशों में शामिल कर दिया, जिससे उस देश की अर्थव्यवस्था में नया बदलाव आया। पुरी का मानना है कि अगर मौजूदा ड्रिलिंग प्रयास सफल होते हैं तो भारत इसी तरह की सफलता की ओर बढ़ सकता है, विशेष रूप से अंडमान क्षेत्र में।
हमारी एनर्जी की जरूरतें एक झटके में होंगी पूरी
माना जा रहा है कि इसके मिलने के बाद हमारी एनर्जी की जरूरतें एक झटके में पूरी हो जाएंगी। अगर अंडमान में खोज सफल होती है, तो भारत ऑयल इंपोर्ट्स को काफी हद तक कम कर सकता है और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है।
होर्मुज का रास्ता बंद होने से महंगे पड़ेंगे तेल व गैस
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध भारत के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि युद्ध के कारण, भारत पर आर्थिक संकट का खतरा बढ़ रहा है। खासकर होर्मुज जलडमरुमध्य को लेकर चिंताएं हैं। अगर यह बंद होता है तो भारत के लिए तेल और गैस का आयात महंगा पड़ेगा।
दोनों देशों से व्यापारिक रिश्ते
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने ईरान को 1.24 अरब डॉलर का माल निर्यात किया और 44.19 करोड़ डॉलर का आयात किया। वहीं, इजरायल के साथ 2.15 अरब डॉलर का निर्यात और 1.61 अरब डॉलर का आयात किया है।
होर्मुज जलडमरूमध्य
होर्मुज जलडमरूमध्य ओमान और ईरान के बीच स्थित है, जो खाड़ी के देशों (इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात) से समुद्री मार्ग को अरब सागर और उससे आगे तक जोड़ता है। यह जलडमरूमध्य अपने सबसे संकरे बिंदु पर केवल 33 किमी चौड़ा है। यहां प्रतिदिन लगभग दो करोड़ बैरल तेल और तेल उत्पाद जहाजों पर लादे जाते हैं।
सस्ता नहीं है तेल के कुएं खोदना
भारत ने कई क्षेत्रों में एक्सप्लोरेशन के लिए ड्रिलिंग को बढ़ाया है, खासकर उन क्षेत्रों में जिन्हें पहले दुर्गम माना जाता था। पुरी ने तेल की खोज के लिए कुएं खोदने की हाई कॉस्ट पर भी बात की। उन्होंने कहा कि इसमें बहुत सारा पैसा लगता है। उन्होंने कहा कि गुयाना में उन्होंने 43 या 44 कुएं खोदे, जिनमें से प्रत्येक की लागत 10 करोड़ डॉलर थी। उन्हें 41वें कुएं में तेल मिला। आगे कहा कि सरकारी कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) ने इस साल जितने कुएं खोदे हैं, वे 37 साल में सबसे ज्यादा हैं। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी ने 541 कुओं की खुदाई की। इसमें 103 एक्सप्लोरेटरी और 438 डेवलपमेंटल कुएं शामिल हैं। इन सब में कंपनी ने ₹37,000 करोड़ का अपना रिकॉर्ड हाई पूंजीगत खर्च भी दर्ज किया।
समुद्री इलाके में खुदाई शुरू
सरकार ने पिछले कुछ सालों में अनछुए समुद्री बेसिनों में तेल और गैस की खोज के लिए नीतिगत सुधार किए हैं और निवेश बढ़ाया है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां जैसे ONGC और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने अंडमान के गहरे समुद्री इलाके में खुदाई शुरू कर दी है.
कारोबारी साल 2024 में ONGC ने 37 सालों में सबसे अधिक 541 कुएं खोदे, जिसमें 103 खोज कुएं और 438 विकास कुएं शामिल थे. कंपनी ने ₹37,000 करोड़ का अधिकतम कैपिटल एक्सपेंडिचर भी रिकॉर्ड किया.
भारत की वर्तमान कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 85% आयात पर निर्भर है, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा कमजोर होती है. अंडमान सागर में सफल खोज से आयात पर निर्भरता कम होगी और देश की एनर्जी स्वतंत्रता मजबूत होगी. इसके साथ ही, तेल की घरेलू उपलब्धता बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में स्थिरता आएगी और आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी.
पुरी ने बताया कि गुयाना में तेल खोजने के लिए 43-44 कुएं खोदे गए थे, जिनमें से 41वें कुएं में तेल मिला था. भारत भी इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही सफलता मिलेगी.
अंडमान सागर में तेल की खोज भारत के लिए न केवल एनर्जी सेक्टर में क्रांति लाएगी, बल्कि ग्लोबल तेल बाजार में भी देश की स्थिति मजबूत करेगी. यह खोज भारत को एक प्रमुख तेल उत्पादक देश के रूप में स्थापित कर सकती है और आर्थिक रूप से देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी.
तीसरा सबसे बड़ा ऑयल इंपोर्टर है भारत
भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत में से 85% को आयात के जरिए पूरा करता है। देश कच्चे तेल के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इंपोर्टर है, इसके आगे केवल अमेरिका और चीन हैं। कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन वर्तमान में असम, गुजरात, राजस्थान, मुंबई हाई और कृष्णा-गोदावरी बेसिन में केंद्रित है। विशाखापत्तनम, मैंगलोर और पादुर में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार बनाकर रखे गए हैं, ओडिशा और राजस्थान में नई साइट्स की योजना बनाई गई है।
भारत की तेल आवश्यकता और आयात
भारत के लिए यह तेल कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 85-86 फीसदी दूसरे देशों से मंगाता है। भारत 42 देशों से कच्चा तेल आयात करता है, और इनमें से अधिकतर तेल मिडल ईस्ट से आता है। ईरान और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष का असर इस तेल आयात पर पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। अगर अंडमान के समुद्र में मिले तेल भंडार का अनुमान सही निकला तो यह भारत के लिए एक बहुत बड़ा अवसर होगा।
अंडमान का तेल भंडार कितना बड़ा हो सकता है?
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, अंडमान के समुद्र में पाया गया तेल भंडार गुयाना में हाल ही में मिले भंडार के समान हो सकता है। गुयाना में 11.6 अरब बैरल तेल और गैस का भंडार मिला है, जिसे चीन की एक कंपनी के साथ मिलकर खोजा गया था। अगर भारत का तेल भंडार भी करीब 12 अरब बैरल के आसपास है, तो यह देश के लिए एक ऐतिहासिक खोज हो सकती है। इससे भारत का तेल उत्पादन बढ़ेगा और ऊर्जा की जरूरतें पूरी हो सकेंगी।
भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अगर अंडमान का तेल भंडार सचमुच वैसा ही है जैसा अनुमान लगाया जा रहा है, तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आ सकता है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अगर यह तेल भंडार निकाला जा सका तो न सिर्फ भारत की ऊर्जा की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि देश की जीडीपी भी पांच गुना बढ़ सकती है। वर्तमान में भारत की जीडीपी करीब 3.7 ट्रिलियन डॉलर है, और इस तेल भंडार के मिलने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।
भारत के अन्य तेल भंडार
अंडमान के तेल भंडार से पहले, भारत में अन्य कई स्थानों से कच्चा तेल निकाला जाता है। असम, गुजरात, राजस्थान, मुंबई और कृष्णा-गोदावरी बेसिन जैसे क्षेत्रों से तेल निकाला जा रहा है। इसके अलावा, भारत ने रिफाइन किए गए कच्चे तेल का भी बड़ा भंडार तैयार किया है, जो विशाखापट्टनम, मैंगलोर और पुदुर में स्थित है। ओडिशा और राजस्थान में भी तेल रिजर्व बनाए जा रहे हैं।
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