November 12, 2025

दिल्ली धमाका केस में अहम सुराग: गुरुग्राम में बिकी कार आखिर जम्मू-कश्मीर कैसे पहुंची?

नई दिल्ली 
दिल्ली में लाल किले के पास जिस i10 कार में धमाका हुआ था, उसके पहले मालिक गुरुग्राम के सलमान थे। फिर यह कार बिकते-बिकते जम्मू-कश्मीर के पुलवामा तक जा पहुंची और अंत में दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास इसमें धमाका हुआ। अब तक पुलिस ने इसे आतंकी हमला करार नहीं दिया है, लेकिन इसकी जांच कुछ ऐसे ही संकेत दे रही है। फिलहाल पुलिस ने गुरुग्राम से रजिस्टर्ड इस कार के पहले खरीददार के मकान मालिक से पूछताछ की है। इस कार के पहले मालिक सलमान थे, जो गुरुग्राम में रहते थे। वह जिन दिनेश में मकान में रहते थे, पुलिस ने उनसे आज पूछताछ की है।
 
दिनेश की मां वीरवती ने बताया कि पुलिस उनके बेटे को पूछताछ के लिए ले गई है। दिनेश के परिवार का दावा है कि सलमान उनके घर में 2016 से 2020 के दौरान रहा था। इस बीच जानकारी मिली है कि दिल्ली धमाके में मरने वालों की संख्या 12 पहुंच गई है। दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस की संयुक्त टीम ने सोमवार की शाम को ही कार के पहले मालिक मोहम्मद सलमान को हिरासत में ले लिया था। सलमान ने बताया कि उन्होंने अपनी कार दिल्ली के ओखला निवासी देवेंद्र को डेढ़ साल पहले बेची थी। फिर देवेंद्र ने इस कार को अंबाला में किसी को बेच दिया था। अंबाला के उस शख्स ने पुलवामा के तारिक को गाड़ी बेच दी थी। फिलहाल पुलिस कड़ियां जोड़ते हुए सभी तक पहुंचने में जुटी है।

इस बीच दिनेश के परिवार ने बताया कि सलमान उनके शांति नगर स्थित आवास में 4 साल तक रहा था और फिर गुरुग्राम में ही फ्लैट ले लिया था। वीरवती ने कहा कि रात को कुछ पुलिस वाले आए थे और मेरे बेटे को ले गए। हमने अपना मकान 2015 में बनाया था और 2016 में सलमान रहने आया था। वह ऊपरी मंजिल पर रहता था और 4 साल बाद अपने ही फ्लैट में शिफ्ट हो गया, जिसे उसने खरीदा था। वीरवती ने कहा कि अब घर में दूसरे किरायेदार रहते हैं। दिनेश के भाई महेश ने कहा कि हम लोगों का सलमान से कोई संपर्क नहीं रहा है।

महेश ने कहा कि पुलिस यह कहकर ले गई है कि इनसे पूछताछ करनी है। उसने कहा कि सलमान हमारे यहां अपनी पत्नी, दो बच्चों और मां के साथ रहता था। सलमान एक निजी कंपनी में नौकरी करता था। फिलहाल इस मामले में पुलिस कड़ियां तलाश रही है। यह हैरान करने वाली बात है कि एक कार इतने लोगों के पास बिकते हुए पहुंची और अंत में उसे आतंकी साजिश के लिए इस्तेमाल किया गया। माना यह भी जा रहा है कि जानबूझकर ऐसी कार को चुना गया, जो कई बार बिकी हो ताकि उसके मालिक की तलाश करना आसान ना रहे।

 

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