उज्जैन
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने आज श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः कालीन दद्योदक आरती में सम्मिलित होकर भगवान श्री महाकालेश्वर जी के दर्शन का लाभ प्राप्त किया। इस दौरान वे बाबा महाकाल की भक्ति में लीन नजर आई उन्होंने बाबा महाकाल की आरती देखी और नंदी जी के कानों में अपनी मनोकामना भी कहीं।
महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि फिल्म अभिनेत्री दिव्या दत्ता बाबा महाकाल की अनन्य भक्त हैं जो कि आज बाबा महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंची थीं। दिव्या ने नंदी हॉल से बाबा महाकाल की आरती देखी और उसके बाद वह जैसे बाबा महाकाल की भक्ति में लीन हो गईं। आरती के दौरान कभी वह आंख बंद कर ध्यान लगाती दिखाई दीं तो कभी तालियां बजाकर आरती के हर क्षण का आनंद लेती देखी गईं। आरती के बाद आपने बाबा महाकाल का पूजन अर्चन और दर्शन किए इसके साथ ही नंदी जी के कानों में अपनी मनोकामना भी कहीं। अभिनेत्री दिव्या दत्ता द्वारा श्री कोटेश्वर महादेव जी का भी पूजन किया गया। यह पूजन पुजारी अर्पित गुरु द्वारा संपन्न करवाया गया।
आरती में लगा जैसे बाबा महाकाल के बिल्कुल करीब हूं
बाबा महाकाल की आरती में शामिल होने और दर्शन करने के बाद अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि बाबा महाकाल के दरबार में आते ही एक पॉजिटिव एनर्जी मिली। जब मेने बाबा महाकाल के दर्शन किए तो ऐसा लगा मानो जैसे मैं बाबा महाकाल के बिल्कुल करीब हूं। आज बाबा महाकाल के जो अद्भुत दर्शन हुए और जिस प्रकार से यह आरती हुई उसने मेरे दिल को छू लिया। आज मेरी आत्मा तृप्त हो गई इस प्रकार के दर्शन करवाने के लिए श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति और यहां सेवा कर रहे हैं सभी लोगों का धन्यवाद। आपने बताया कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि महाकाल लोक में होने वाले लाइट एंड साउंड में मेरी आवाज है। इस आवाज के माध्यम से मैं भी बाबा महाकाल को नमन करती हूं और इस बात के लिए मैं अपने आप को धन्य मानती हूं कि भले ही आवाज के माध्यम से लेकिन मैं भी इस मंदिर का हिस्सा हूं। बाबा महाकाल के दर्शन कर दिल से खुश हूं जय श्री महाकाल।
दिव्या जिसे मिला सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
दिव्या दत्ता एक भारतीय अभिनेत्री हैं। उन्होंने मुख्यतः हिंदी और पंजाबी सिनेमा में काम किया है और उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और फ़िल्मफ़ेयर ओटीटी पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले हैं। दत्ता ने 1994 में फिल्म इश्क में जीना इश्क में मरना से हिंदी सिनेमा में शुरुआत की, जिसके बाद उन्होंने 1995 में ड्रामा वीरगति में मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने 1999 की पंजाबी फिल्म शहीद-ए-मोहब्बत बूटा सिंह में अपने सिख पति से अलग हुई एक मुस्लिम पत्नी ज़ैनब की मुख्य भूमिका निभाकर ध्यान आकर्षित किया, जो 1947 के भारत विभाजन की पृष्ठभूमि पर आधारित थी। दत्ता ने रोमांटिक ड्रामा वीर-ज़ारा (2004), कॉमेडी वेलकम टू सज्जनपुर ( 2008), ड्रामा दिल्ली -6 (2009), स्टेनली का डब्बा (2011) और हीरोइन (2012), और थ्रिलर बदलापुर (2015) में अपनी सहायक भूमिकाओं के लिए और अधिक ध्यान आकर्षित किया । सामाजिक नाटक इरादा (2017) में उनकी भूमिका के लिए, दत्ता को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। टेलीविज़न में उन्होंने धारावाहिक संविधान (2014) में पूर्णिमा बनर्जी की भूमिका निभाई। थ्रिलर सीरीज़ स्पेशल ओपीएस (2020) में अपने प्रदर्शन के लिए उन्हें फिल्मफेयर ओटीटी पुरस्कार मिला। उन्होंने द स्टार्स इन माई स्काई नामक एक पुस्तक भी लिखी हैं।

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