मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ऐलान किया कि भारत अपना परमाणु ऊर्जा क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खोल रहा है, और इसे भारत-यूके संबंधों को मजबूत करने का एक स्वर्णिम मौका बताया। मुंबई में आयोजित भारत-ब्रिटेन सीईओ फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे बेहद प्रसन्नता हो रही है कि हम परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोल रहे हैं। इससे भारत-ब्रिटेन के सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के कई अवसर सृजित होंगे। मैं आपको भारत की इस विकास यात्रा में भागीदार बनने के लिए निमंत्रित करता हूं।
बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर हमारी शीर्ष प्राथमिकता है। हम अगली पीढ़ी के आधुनिक भौतिक बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर रहे हैं। 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में हम तेज कदम उठा रहे हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि आइये, भारत और ब्रिटेन मिलकर वैश्विक स्तर पर उत्कृष्ट मानक स्थापित करें।
अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलावों पर प्रकाश डालते हुए पीएम मोदी ने बुनियादी ढांचे व सुधारों पर केंद्रित नीतियों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर सुधार हो रहे हैं। अनुपालन बोझ कम करने और व्यापार करने की आसानी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विकास को गति देने वाले हालिया टैक्स सुधारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ताजा जीएसटी सुधारों से मध्यम वर्ग और एमएसएमई क्षेत्र की प्रगति को नई रफ्तार मिलेगी, साथ ही सभी के लिए अवसरों का दायरा विस्तृत होगा।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों और सौर ऊर्जा उपकरणों पर करों में कटौती कर आम जनता को बड़ी राहत प्रदान की है। एयर कंडीशनर, टेलीविजन व डिशवॉशर जैसे सामानों पर जीएसटी दर को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह, मॉनिटर व प्रोजेक्टर पर भी जीएसटी को 18 प्रतिशत पर संशोधित किया गया। इन बदलावों से भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन को प्रोत्साहन प्राप्त होगा और स्टार्टअप इकोसिस्टम को नई मजबूती मिलेगी।
इसके अलावा सौर पैनल व फोटोवोल्टिक सेल जैसे नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर कर को 12 प्रतिशत से घटाकर मात्र 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इस छूट से आवासीय व औद्योगिक उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए स्थापना खर्च में कमी आएगी, जिससे सतत व किफायती ऊर्जा विकल्पों तक पहुंच आसान हो जाएगी।

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