
इंदौर
भारत में बढ़ते साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी की घटनाओं के बीच, कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ डिजिटल सुरक्षा को लेकर सक्रिय हुई हैं. मध्य प्रदेश के इंदौर में तैनात अपर पुलिस उपायुक्त (ADCP), क्राइम ब्रांच के रूप में कार्यरत राजेश दंडोतिया इस दिशा में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.
राजेश दंडोतिया का जन्म 13 जून 1975 को मध्य प्रदेश के एक कृषक परिवार में हुआ. उन्होंने वर्ष 2002 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रवेश किया. उनकी प्रारंभिक नियुक्तियाँ सिवनी जैसे जिलों में हुईं, जहाँ उन्होंने 2005 से कार्यभार संभालते हुए अपराध जांच और जन सुरक्षा से जुड़ा अनुभव प्राप्त किया.
10 अगस्त 2023 को उन्होंने इंदौर क्राइम ब्रांच के ADCP पद का कार्यभार ग्रहण किया. यह वह समय था जब इंदौर जैसे तेजी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ते शहर में साइबर अपराध एक गंभीर चुनौती बन चुका था. इस अवधि में उन्होंने कई महत्वपूर्ण साइबर अपराध मामलों की निगरानी की, जिनमें दिल्ली से संचालित एक तथाकथित “डिजिटल अरेस्ट” घोटाले का खुलासा भी शामिल है. इस ऑपरेशन के तहत देश के विभिन्न राज्यों से गिरफ्तारी की गई, जिससे अनेक संभावित पीड़ितों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सका.
कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ दंडोतिया ने साइबर जागरूकता अभियान में भी सक्रिय भागीदारी की है. आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, उन्होंने मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में 900 से अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें आम नागरिकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के उपायों की जानकारी दी गई. ये कार्यक्रम शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में भी आयोजित किए गए, जिससे साइबर सुरक्षा की जानकारी व्यापक स्तर पर पहुँची.
वर्ष 2025 में उन्होंने साइबर रक्षक नामक एक पुस्तक लिखी, जिसका प्रकाशन महागाथा द्वारा किया गया. यह पुस्तक साइबर अपराधों की प्रकृति, जैसे कि फिशिंग, मिस्ड कॉल स्कैम, यूएसबी मालवेयर और पहचान की चोरी पर आधारित है, तथा डिजिटल सुरक्षा के व्यावहारिक उपायों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती है. यह पुस्तक कई सरकारी और सामुदायिक कार्यक्रमों में संदर्भ सामग्री के रूप में उपयोग में लाई जा रही है.
उनके प्रयासों को मीडिया में भी स्थान मिला है, विशेषकर साइबर अपराध नियंत्रण में तकनीक और पारंपरिक पुलिसिंग के समन्वय को लेकर. उनकी पत्नी नीति राजेश दंडोतिया भी मध्य प्रदेश पुलिस में उप पुलिस अधीक्षक (DSP) के पद पर कार्यरत हैं, और दोनों सार्वजनिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक सक्रिय जोड़ी मानी जाती है.
जैसे-जैसे भारत डिजिटल भविष्य की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे साइबर अपराध से निपटने के लिए ऐसे अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है जो प्रवर्तन के साथ-साथ जन जागरूकता में भी अग्रणी भूमिका निभा सकें. राजेश दंडोतिया का कार्य एक ऐसे पुलिस मॉडल का उदाहरण है जो सक्रिय, जागरूक और समुदाय से जुड़ा हुआ है.
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