
नई दिल्ली/अमेरिका
एक तरफ भारत में कोरोना से मौत के मामले लगातार बढ़ रहे है। देश में बीते 24 घंटे में कोरोना से 4 मौतें हुई हैं। दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र और पंजाब में एक-एक मरीज ने जान गंवाई है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जनवरी 2025 में अब तक नए वैरिएंट से 120 की मौत हुई है। देशभर में कोरोना के 5608 एक्टिव केस हैं। गुरुवार को 64 नए केस सामने आए हैं। वहीं दूसरी तरफ कोरोना के नए वैरिएंट यानी ‘निम्बज’ वैरिएंट ने अमेरिका और चीन में कोहराम मचा दिया है। नया वैरिएंट ‘निम्बस’ को ऑफिशिअली रूप से एनबी.1.8.1 के नाम से जाना जाता है।
ये वैरिएंट अमेरिका के वाशिंगटन, न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया, ऑस्ट्रेलिया, यूके और वर्जीनिया जैसे कई अमेरिकी राज्यों में पाया गया है। इसे ’रेजर ब्लेड थ्रोट’ नाम से भी जाना जा रहा है क्योंकि यह गले में दर्दनाक खराश पैदा कर सकता है। भारत में डॉक्टरों का कहना है कि भारत में भी कुछ मरीजों में भी ये लक्षण देखे जा रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में ओमिक्रॉन के 2 सब-वैरिएंट एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 की पहचान की है और ये दोनों ही जेएन.1 वैरिएंट के म्यूटेशन हैं। जो अभी कोरोना के मामलों में वृद्धि का कारण हैं। हालांकि, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों ने संकेत दिया है कि ये नए स्ट्रेन पहले के ओमिक्रॉन की तुलना में बीमारी की गंभीरता को नहीं बढ़ा रहे हैं। ये नया वैरिएंट निम्बज क्या है, कितना खतरनाक है और इसके लक्षण क्या हैं, इस बारे में भी जानना काफी जरूरी है ताकि इससे सतर्क रहा जा सके।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, एनबी.1.8.1 पहले से ही 7 जून तक नए कोविड-19 मामलों के लगभग 1 तिहाई (37 प्रतिशत) मामले इसी वैरिएंट के हैं। ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा के अनुसार, निम्बज वैरिएंट कम से कम 13 अमेरिकी राज्यों में पाया गया है। NB.1.8.1 नामक इस वेरिएंट को चीन और कई अन्य एशियाई देशों में कोविड-19 के फिर से उभरने का कारण माना गया है। यूरोप के विशेषज्ञ वहां मामलों में संभावित वृद्धि की भविष्यवाणी कर रहे हैं।
निम्बज के लक्षण?
निम्बज के लक्षण भी वैसे तो अन्य वैरिएंट्स की तरह ही हैं लेकिन कुछ मरीजों में एलर्जी जैसे लक्षण हो सकते हैं जैसे कि भरी हुई और बहती नाक। दूसरों को सर्दी-जुकाम या फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं जैसे कि बुखार, गले में खराश, थकान, सिरदर्द और मांसपेशियों या शरीर में दर्द। वहीं कुछ लोगों को खांसी और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। मतली, उल्टी या दस्त भी हो सकते हैं। हालांकि, इस वैरिएंट ने ‘रेजर ब्लेड थ्रोट’ नाम का एक दर्दनाक लक्षण भी पैदा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, मरीजों ने इस लक्षण की तुलना आपके गले में रेजर ब्लेड फंसने से की है।
कितना खतरनाक है निम्बज?
NB.1.8.1 वैरिएंट ACE2 रिसेप्टर से मजबूती से जुड़ता है, जिसका इस्तेमाल कोविड-19 शरीर में प्रवेश करने के लिए करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि NB.1.8.1 मानव कोशिकाओं के साथ मजबूत बॉन्ड बना लेता है जो अधिक प्रभावी ढंग से फैल सकता है।
WHO के अनुसार, निम्बस कोविड-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट का एक सब-वैरिएंट है जो इंफेक्शन का कारण बनता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने निम्बस को वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग यानी निगरानी में रखे जाने वाले वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया है। वहीं लंदन जनरल प्रैक्टिस के एक जनरल प्रैक्टिशनर डॉ. नवीद आसिफ के मुताबिक, ‘WHO का आकलन है कि ग्लोबल लेवल पर वर्तमान में जोखिम कम है और मौजूदा कोविड-19 वैक्सीन को गंभीर बीमारी को रोकने में प्रभावी माना जा रहा है।
मौजूदा वैक्सीन कितनी प्रभावी हैं?
डॉ. लीना का कहना है, ‘मौजूदा वैक्सीन इस वैरिएंट के खिलाफ काम करते हैं या नहीं, इसका सटीक जवाब अभी तक पता नहीं है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन लैब डेटा का हवाला देता है जो दर्शाता है कि एनबी.1.8.1 कुछ हद तक इम्यूनिटी से बच सकता है, जिसका अर्थ है कि यह वैक्सीन या पिछले संक्रमण मिली गई इम्यूनिटी से मिली हुई इम्यूनिटी को भी चकमा देते हुए फिर से संक्रमित कर सकती है। साथ ही यह अन्य वैरिएंट्स का वंशज है और उस पर वैक्सीन प्रभावी थी। ‘मुझे उम्मीद है कि आने वाले हफ़्तों में और अधिक डेटा उपलब्ध होगा क्योंकि स्वास्थ्य अधिकारी जल्द ही इसके अपडेटेड कोविड-19 वैक्सीन के फॉर्मूलेशन पर निर्णय लेंगे।
भारत में मिले कोविड-19 के 4 नए वैरिएंट
भारत के कई राज्यों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच देश में चार नए वैरिएंट मिले हैं। ICMR के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने बताया कि दक्षिण और पश्चिम भारत से जिन वैरिएंट की सीक्वेंसिंग की गई है, वे LF.7, XFG , JN.1 और NB.1.8.1 सीरीज के हैं। बाकी जगहों से नमूने लेकर सीक्वेंसिंग की जा रही है, ताकि नए वैरिएंट की जांच की जा सके। मामले बहुत गंभीर नहीं हैं, लोगों को चिंता नहीं, बस सतर्क रहना चाहिए।
NB.1.8.1 के A435S, V445H, और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन अन्य वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैलते हैं। इन पर कोविड के खिलाफ बनी इम्यूनिटी का भी असर नहीं होता। भारत में कोविड का JN.1 वैरिएंट सबसे आम है। टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल में यह वैरिएंट मिलता है। इसके बाद BA.2 (26 प्रतिशत) और ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) वैरिएंट के मामले भी मिलते हैं।
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